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डॉ.आम्बेडकर ने व्यक्तिगत पीड़ा को सामूहिक मुक्ति में बदल दिया-कृष्णा सेठ

चंदौली, सटीक संवाद। जिले के सकलडीहा व्यापार मंडल अध्यक्ष कृष्णा सेठ के नेतृत्व में व्यापारियो ने तिराहे पर सिंबल ऑफ नॉलेज, विश्वरत्न बाबा साहेब डा.आम्बेडकर जयंती हर्षोल्लास से मनाई. वहीं वनवासी बच्चों में पठन पाठन सामग्री वितरण की.

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृष्णा सेठ डॉक्टर अंबेडकर एक ऐसे कर्मशील योद्धा का नाम है, जिसके करुणा ने मानवता का, जिसके विचारों ने इतिहास का और जिसके संकल्पना ने वास्तविक अर्थ का सांचा बदल दिया. आज 14 अप्रैल है. आज से 134 वर्ष पूर्व सन 1891 में सूरज ऐसे ही निकला होगा, जैसे आज निकला है और जैसे प्रतिदिन निकलता है. हवाओं में ऐसे ही नमी रही होगी जैसे आज है. पर वह दिन बाबा साहब के जन्म के साथ मानव सभ्यता के सबसे सुंदर स्मृति के रूप में दर्ज हो गया.

संविधान के मुख्य वास्तुकार व मसौदा समिति के अध्यक्ष रहे बाबा साहब को अपने व्यक्तिगत जीवन में जाति व्यवस्था के दंश, भेदभाव व असमानता को सुनना पड़ा. उन्होंने अपने उसे व्यक्तिगत पीड़ा को सामूहिक मुक्ति के सपने में बदल दिया. 

बाबा साहब ने तत्कालीन सामाजिक मान्यताओं के विरुद्ध जाकर महिलाओं के शिक्षा अधिकार गरिमा और लैंगिक समानता के लिए अभूतपूर्व ढंग से आवाज उठाई और उसको हासिल करने के लिए जोरदार संघर्ष किया. बाबा साहब कहते थे मैं किसी समुदाय की प्रगति उस डिग्री से मापता हूं जो महिलाओं ने हासिल की. 

यह कहना ना होगा कि बाबा साहब का यह योगदान महिलाओं के हक में जाहिर इतिहास का सर्वाधिक उज्जवल ज्योति पत्र है. बाबा साहेब डॉक्टर अंबेडकर व्यापक अर्थों में एक बड़े नेता, समाज सुधारक और परिवर्तन धर्मी थे. वह अपने समय के अनेक स्थापनाओं और संरचनाओं से असहमत थे किंतु उनकी असहमति रचनात्मक थी. 

बाबा साहब ने भारत को समझने, भारत से आवास सहमत होने और भारत को बदलने का भारतीय ढंग दिया. जिस पर हाथ रखकर देश प्रेम की सौगंध खाई जा सकती है. यही बाबा साहब की और सहमति का अभिनव शास्त्र है. आज इतिहास के इस मोड़ पर बाबा साहब के योगदान को किसी एक विषय वर्ग आदि से जोड़कर देखना उनके योगदान को सीमित करना है.

बाबा साहब जैसे व्यक्तित्व उन सबके हैं. जिन्हें लोकतंत्र पर भरोसा है जिन्हें मानवीय करुणा और तार्किकता पर भरोसा है. जो प्रत्येक प्रकार के गैर बराबरी को अमानवीय मानते हैं. बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर उन सबके है, जिन्हें सबका साथ, सबका विकास, सबके विश्वास पर भरोसा है.

लोगों की धारणा थी कि कुछ नहीं है तो संविधान हमारी सुरक्षा करेगा. मगर आज या कहना मुनासिब नहीं होगा कि देश में गैर बराबरी बढ़ती जा रही है. आज न्याय का भी सुरक्षा कवच टूटता जा रहा है. तार्किक ताना-बाना बुनने वालों पर पाखंडियों का तांडव अभिनव गरिमा को तोड़ता नजर आ रहा है. भारत की दशा किस दिशा में जा रही है आपकी नजरों के सामने है.

सोचना यह है कि हमें जो स्वतंत्रता मिली है उसके लिए हम क्या कर रहे हैं? यह स्वतंत्रता हमें अपनी सामाजिक व्यवस्था को सुधारने के लिए मिली है. जो असमानता, भेदभाव और अन्य चीजों से भरी हुई है, जो हमारे मौलिक अधिकारों के साथ संघर्ष करती है.

समाज में अनपढ़ लोग हैं ये हमारे समाज की समस्या नही है. समस्या यह है कि जब हमारे समाज के पढ़े लिखे लोग भी गलत बातों का समर्थन करने लगते हैं और गलत को सही दिखाने के लिए अपने बुद्धि का उपयोग करते हैं, यही हमारे समाज की सबसे बड़ी समस्या है.

इस मौके पर कांग्रेस महासचिव देवेन्द्र सिंह, जिलाध्यक्ष अरुण द्विवेदी, डॉक्टर अश्वनी, विनोद गुप्ता, रत्नेश, बरकत अली, हिमांशु वर्मा, राजेश, दिलीप,  रिजवान सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।

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