Hot Posts

6/recent/ticker-posts

डॉ. अंबेडकर का 69वां महा परिनिर्वाण दिवस मनाया गया

क्या आजादी के 75 वर्षों बाद भी हम बाबा साहब के सपनों के भारत के लायक बने?- अर्जुन आर्या 

देश के लिये उनकी अनुकरणीय सेवा को याद कर दी गई श्रद्धांजलि

चंदौली, बाबासाहेब डॉ. अंबेडकर का आज 69वा महापरिनिर्वाण दिवस है जिन्हें आज देश ही नहीं पूरे विश्व के आवाम द्वारा नमः आंखों से श्रद्धांजलि अर्पित की गई और देश के लिये उनकी अनुकरणीय सेवा को याद किया गया.

पूज्य बाबासाहेब भारतीय संविधान के शिल्पकार होने के साथ-साथ सामाजिक समरसता के अमर पुरोधा थे, जिन्होंने शोषितों और वंचितों के कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया. बाबा साहब का सम्पूर्ण जीवन हम सभी के लिए सदैव प्रेरणास्त्रोत रहेगा.

इसी क्रम में बरहनी ब्लॉक के अंमडा गांव में लॉर्ड बुद्धा डॉ अंबेडकर सेवा समिति के प्रदेश अध्यक्ष अर्जुन प्रसाद आर्य (मुख्य अतिथि) ने  में भारत रत्न’ बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी के महापरिनिर्वाण दिवस पर प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर विनम्र श्रद्धांजलि देते समय कहा कि मन में एक तीखा और कड़वा प्रश्न उठता है, क्या आज़ादी के 75 वर्षों बाद भी हम बाबा साहब के सपनों के भारत के लायक बने? क्या हम सच में उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि देने के अधिकारी हैं? क्योंकि यदि हम अपने समाज और आसपास नजर डालें तो दिखता है कि बाबा साहब का मूल विजन सामाजिक समानता, जाति-वर्ग-धर्म आधारित भेदभाव का अंत, सबके लिए समान शिक्षा, आर्थिक न्याय, महिला अधिकार, और लोकतांत्रिक-संवैधानिक भारत अभी भी अधूरा है.

डॉ. बी. आर. आंबेडकर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें से रूबरू कराया
डॉ. भीमराव रामजी आंबेडकर का जन्म 14 अप्रैल 1891 को महू छावनी, मध्य प्रदेश में हुआ था.उन्होंने अपनी प्राथमिक शिक्षा सतारा, महाराष्ट्र में पूरी की और अपनी माध्यमिक शिक्षा बॉम्बे के एलफिंस्टन हाई स्कूल से पूरी की.
1912 में बीए किया. 1913 में कोलंबिया विश्वविद्यालय में एमए और पीएचडी के लिए स्काॅलरशिप पाई.
1916 में ‘ईस्ट इंडिया कंपनी का प्रशासन और वित्त’ पर एमए और ‘भारत में प्रांतीय वित्त का विकास’ पर पीएचडी थीसिस पूरी की. 1946 में डॉ. आंबेडकर भारत की संविधान सभा के लिए चुने गए.15 अगस्त 1947 को वे स्वतंत्र भारत के पहले कानून मंत्री बने. उन्हें संविधान की मसौदा समिति का अध्यक्ष बनाया गया. डॉ. आंबेडकर ने भारत का संविधान तैयार करने की प्रक्रिया का नेतृत्व किया. संविधान सभा के सदस्य महावीर त्यागी ने डॉ. आंबेडकर को संविधान का ‘मुख्य कलाकार’ बताया.डॉ. राजेंद्र प्रसाद (संविधान सभा के अध्यक्ष और भारत के पहले राष्ट्रपति) ने कहा था कि मसौदा समिति के अध्यक्ष के रूप में डॉ. आंबेडकर ने बीमार रहने के बावजूद बहुत निष्ठा से काम किया. 1956 में अपना अंतिम कार्य पूरा करने के कुछ ही दिनों बाद उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया। उन्हें 1990 में भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

डॉ. आंबेडकर का प्रसिद्ध नारा क्या था?- लल्लन कुमार 
विशिष्ट अतिथि प्रदेश महासचिव लल्लन कुमार ने कहा कि डाॅ. आंबेडकर ने अपने विचारों और शिक्षा से दुनिया को प्रभावित किया. उनके विचार आज भी स्टूडेंट्स ही नहीं बल्कि हर किसी को प्रेरणा देते हैं. उनका प्रसिद्ध नारा था कि ‘आदर्श शिक्षित बनो, संगठित हो, संघर्ष करो.’ यह नारा उन्होंने सामाजिक जागरूकता, समान अधिकार और न्याय के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए दिया था.

शिक्षा सामाजिक बुराइयों से लड़ने के लिए याद किए जाते हैं बाबासाहेब- रामसुभाष 
विशिष्ट अतिथि पूर्व रेलवे विधि अधिकारी रामसुभाष ने बताया कि बाबा साहब ने ऐसे भारत का सपना देखा था जहाँ किसी मनुष्य को उसकी जाति, धर्म, लिंग या आर्थिक स्थिति पर तौला न जाए. पर सच्चाई यह है कि छुआछूत का जहर आज भी समाज में जिंदा है, बस रूप बदल गया है. जातिवाद आज भी राजनीति, समाज और संस्थाओं की नसों में गहरे तक बैठा है. शिक्षा के नाम पर कैसा न्याय?गरीब और वंचित वर्ग का बच्चा आज भी या तो स्कूल से दूर है,या सरकारी स्कूलों में खिचड़ी खाकर अधूरी शिक्षा पा रहा है,जबकि संपन्न वर्ग के बच्चे अंग्रेज़ी-मीडियम सुविधा-सम्पन्न विद्यालयों में भविष्य गढ़ रहे हैं.

क्या यह समानता है?
समाजसेवी पवन सिंह ने बताया कि क्या बाबा साहब ने ऐसा भारत चाहा था? संसाधनों का न्यायपूर्ण वितरण आज भी मज़ाक बनकर रह गया है। गरीब के पास न रोजगार, न भूमि, न सामाजिक सुरक्षा और महिलाएँ आज भी संपत्ति, शिक्षा और विवाह में समान अधिकारों से वंचित हैं. 

लोकतंत्र का क्या हुआ? 
वोट आज भी बिक रहे हैं, खरीदे जा रहे हैं,और सत्ता में बैठे कुछ प्रभावशाली लोग गरीब और वंचित वर्ग की मजबूरी को मुर्गा भात और कुछ हजार से खरीद कर अपनी ताकत बना रहे हैं. यह लोकतंत्र पर सबसे बड़ा कलंक है।बस ईश्वर से एक ही प्रार्थना है कि जनता जनार्दन को कुछ चेतना दे और प्रबुद्ध लोगों को बोलने का साहस दे जिससे बाबा साहब के सपनो का भारत बनाया जा सके.

•उन्हें ‘भारतीय संविधान का जनक’ माना जाता है और वह भारत के पहले कानून मंत्री थे.
•वह संविधान निर्माण की मसौदा समिति के अध्यक्ष थे.
•डॉ. अंबेडकर एक समाज सुधारक, विधिवेत्ता, अर्थशास्त्री, लेखक, बहुभाषाविद, मुखर वक्ता, विद्वान और धर्मों के विचारक थे.
•उन्होंने तीनों गोलमेज सम्मेलनों में भाग लिया.
•वर्ष 1932 में डॉ. अंबेडकर ने महात्मा गांधी के साथ पूना पैक्ट पर हस्ताक्षर किये, जिससे उन्होंने दलित वर्गों (सांप्रदायिक पंचाट) हेतु पृथक निर्वाचन मंडल की मांग के विचार को छोड़ दिया.
•हालाँकि प्रांतीय विधानमंडलों में दलित वर्गों के लिये सुरक्षित सीटों की संख्या 71 से बढ़ाकर 147 कर दी गई तथा केंद्रीय विधानमंडल में दलित वर्गों की सुरक्षित सीटों की संख्या में 18 प्रतिशत की वृद्धि की गई.
•हिल्टन यंग कमीशन के समक्ष प्रस्तुत उनके विचारों ने भारतीय रिज़र्व बैंक की नींव रखने का कार्य किया.
•उन्होंने वर्ष 1951 में हिंदू कोड बिल पर मतभेदों के कारण कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
•उन्होंने बौद्ध धर्म अपना लिया.
06 दिसंबर, 1956 को उनका निधन हो गया. चैत्य भूमि मुंबई में स्थित भीमराव अंबेडकर का स्मारक है.
•वर्ष 1936 में वे विधायक के रूप में बॉम्बे विधानसभा के लिये चुने गए.
•वर्ष 1942 में उन्हें एक कार्यकारी सदस्य के रूप में वायसराय की कार्यकारी परिषद में नियुक्त किया गया था.
•वर्ष 1947 में डॉ. अंबेडकर ने स्वतंत्र भारत के पहले मंत्रिमंडल में कानून मंत्री बनने हेतु प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के निमंत्रण को स्वीकार किया.
•हिंदू कोड बिल पर मतभेद को लेकर उन्होने वर्ष 1951 में कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
•उन्होंने बौद्ध धर्म को स्वीकार कर लिया तथा 6 दिसंबर, 1956 (महापरिनिर्वाण दिवस) को उनका निधन हो गया.

इस दौरान इंदु देवी, पुष्पा देवी, रामविलास, मनोज, नन्द कुमार, दिनेश, अशोक, राम अवतार, बहादुर, खारा राम, त्रिवेणी, श्यामा, महेन्द्र, नन्दलाल, प्यारी देवी, साधना देवी, शीला देवी, ममता कृष्णावती, प्रेमशिला, कुमारी देवी सहित सैकड़ों महिलाएं पुरुष और छोटे छोटे बच्चों ने कार्यक्रम में संबल प्रदान किया।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ