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एनडीए के कुनबे में बिखराव, तीन क्षेत्रीय दलों का पंचायत चुनाव अकेले लड़ने का एलान

नई दिल्ली, सटीक संवाद। 2026 के पंचायत चुनाव से पहले बीजेपी के एनडीए गठबंधन में बहुत बड़ा बिखराव हो गया. विश्वस्त सहयोगी माने जाने वाली तीन बड़ी पार्टियां अपना दल (एस), सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा), निषाद पार्टी ने आगामी पंचायत चुनाव अपने दम पर लड़ने का एलान कर दिया है.इन दलों के इस फैसले से भाजपा को बड़ा झटका लग सकता है, जो चिंता का कारण बन सकती है. 

अनुप्रिया पटेल क्या कहती हैं? 

केंद्रीय मंत्री अनुप्रिया पटेल ने साफ तौर पर कहा है कि उनकी पार्टी पंचायत चुनाव (Panchayat Election 2026) में अकेले उतरेगी और गठबंधन को लेकर कोई चर्चा नहीं हुई है. उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं को स्पष्ट कर दिया है कि जो चुनाव लड़ना चाहते हैं, उन्हें पार्टी से मौका मिलेगा. यह बयान ऐसे समय आया है जब अपना दल (एस) को बीजेपी का भरोसेमंद साथी माना जाता रहा है.

इसी राह पर सुभासपा के अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर और निषाद पार्टी के प्रमुख डॉ. संजय निषाद भी चल पड़े हैं. डॉ. निषाद ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की है कि वे हर बूथ पर पार्टी का झंडा फहराएं और पूरी तैयारी के साथ पंचायत चुनाव में उतरें. 

इन नेताओं के रुख को केवल पंचायत चुनाव तक सीमित नहीं देखा जा रहा, बल्कि इसे 2027 के विधानसभा चुनाव की रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है. अगर ये दल पंचायत चुनाव में अच्छा प्रदर्शन करते हैं, तो भविष्य में एनडीए के भीतर अपने लिए ज्यादा सीटों की मांग कर सकते हैं.

 दरअसल यूपी में भाजपा ने इन दलों के साथ मिलकर ऐसा सामाजिक समीकरण तैयार किया था जो उसकी चुनावी जीत का आधार बना था. यदि ये दल अलग होकर चुनाव लड़ते हैं तो वोटों का बिखराव संभव है और इससे भाजपा की जमीनी पकड़ कमजोर पड़ सकती है.

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने क्या बयान दिया है?

डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य ने इस मसले पर कहा है कि सहयोगी दलों के बयानों पर पार्टी स्तर पर कोई औपचारिक बातचीत नहीं हुई है. उन्होंने कहा कि अभी तय नहीं है कि पंचायत चुनाव में कौन-सा दल अकेले लड़ेगा और कौन-सा मिलकर. बहरहाल सहयोगी दलों की इस दूरी ने भाजपा के लिए आगामी पंचायत चुनाव को पहले से अधिक चुनौतीपूर्ण बना दिया है।

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