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बाबा साहेब के आदर्श हमें एक समावेशी और समतावादी समाज के निर्माण में मार्गदर्शन करते हैं-पिंटू पाल

चंदौली, जिले के सकलडीहा विकास खण्ड अंतर्गत उकनी विरमराय गांव में डॉ. आंबेडकर जयंती बड़े ही धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाई गई. इस दौरान उपस्थित वक्ताओं ने उनके जीवन संघर्षों एवं राष्ट्र निर्माण में योगदान पर विस्तार से प्रकाश डाला.

फोटो: पिंटू पाल बाबा साहेब डॉ अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि देते हुए 

वहीं समाज सेवी एवं किसान नेता पिंटू पाल ने कहा कि डॉ.अंबेडकर को भारतीय संविधान का प्रमुख शिल्पकार माना जाता है. उनके नेतृत्व में तैयार किया गया संविधान एक लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और समावेशी भारत की नींव बना. जातिवाद के खिलाफ संघर्ष और सामाजिक समानता के लिए उनके प्रयास आज भी उनकी सबसे महत्वपूर्ण विरासत माने जाते हैं.

डॉ. अंबेडकर के अद्वितीय योगदान को श्रद्धांजलि दी और उनकी विरासत को याद किया. एक न्यायपूर्ण, प्रगतिशील और समावेशी भारत के अपने दृष्टिकोण पर जोर देते हुए उन्होंने सभी से एक विकसित और समतापूर्ण राष्ट्र के निर्माण में सक्रिय रूप से भाग लेने का आग्रह किया. डॉ. अंबेडकर द्वारा दिए गए समानता, बंधुत्व और न्याय के संदेश को एक मजबूत समाज के लिए मार्गदर्शक पथ के रूप में दोहराया.

उन्होंने आगे कहा कि डॉ. बी.आर. अंबेडकर की गहन विरासत को वह मान्यता मिली है. जिसके वे वास्तव में हकदार हैं. इस अंबेडकर जयंती पर हम अपने देश के युवाओं से आग्रह करते हैं कि वे भारतीय संविधान के निर्माण में बाबासाहेब की महत्वपूर्ण भूमिका पर विचार करें - जो समानता, न्याय और कानून के शासन पर आधारित एक दस्तावेज है. उनके आदर्श हमें एक समावेशी और समतावादी समाज के निर्माण में मार्गदर्शन करते हैं, जो वास्तव में आत्मनिर्भर भारत की आधारशिला है।”

इस अवसर पर निठोहर सत्यार्थी, मोती राम, डॉ. अश्वनी कुमार, लोरिक राम, धर्मेन्द्र यादव, ऋषि पाल, प्यारे लाल यादव, निरंजन पाल, संजय यादव, लवकुश राम, अरविंद राम, बबलू यादव, पिंकू सिंह, अलीजान खां सहित सैकड़ों महिलाएं पुरुष और बच्चों ने कार्यक्रम में संबल प्रदान किया।

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